||.. “हे राधे” सुना है तेरी गलियों के आशिक कुछ कम नहीं ||..
||.. वहां बैठे है हर नुक्कड़ पर सजाये अपना आशियाना ||..
||.. नाम दिया जिन्हे बंजारा वो भी कुछ कम नहीं ||..
||.. हाँ मालुम है की ना मै वो आशिक़ हूँ ना बंजारा ||..
||.. लेकिन मिले मुझे भी वहाँ कोई ठिकाना ||..
||.. क्यों की सुना है तेरी रहमत भी कुछ कम नहीं ||..
प्रेम से बोलो राधे राधे
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वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।