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krishna poem

जाने प्रभु को क्या सूझी है?

जाने प्रभु को क्या सूझी है? जीवन सागर सा अथाह  है, ना दिखती कोई सरल राह है, उम्मीदें  भी बुझी-बुझी हैं।…

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