कृष्णा को एक अभिशाप से बचने के लिए सुदामा ने खुद एक दरिद्र का जीवन चुन लिया।

krishna sudama friendship

 
वैसे तो श्री कृष्णा के परम मित्र सुदामा की छवि से हर कोई भली भाँति परिचित है लेकिन शायद ही ये बात किसी को मालूम हो की परम अवतार श्री कृष्णा को एक अभिशाप से बचने के लिए सुदामा ने खुद एक दरिद्र का जीवन चुन लिया। यही वजह है की सुदामा, भगवान के परम मित्र और भक्त होने के बावजूद इतने दरिद्र थे ।

1-पौराणिक कथा के अनुसार एक बहुत निर्धन ब्राह्मणी थी। उसका पूरा गुजारा भिक्षा मांगकर होता था लेकिन दुर्भाग्य वश ऐसा समय भी आया जब पांच दिनों तक उसे भिक्षा नहीं मिली ।

Old lady

2- प्रतिदिन वह प्रभु का स्मरण करके सो जाती थी लेकिन छठे दिन उसे मात्र दो मुट्ठी चने ही प्राप्त हुए। चने पाकर वह बहुत प्रसन्न हुई लेकिन कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी ।

chana

3- उस ब्राह्मणी ने सोचा कि ये चने मैं रात के समय नहीं खाऊंगी, सुबह कन्हैया को भोग लगाने के बाद ही इन्हें ग्रहण करूंगी। ऐसा सोचकर ब्राह्मणी चनों को कपडे में बाँधकर रख दिया ।

krishna sudama friendship

4- वह कन्हैया के नाम का स्मरण करते करते गहरी नींद में सो गई। लेकिन वो कहते है ! न की दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम ।

krishna sudama friendship

5- जैसे उस ब्राह्मणी को नींद आयी कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया में आ गये। लेकिन उस गरीब ब्राह्मणी के पास कुछ था ही नहीं सिवाए उस चने की पोटली के ।

krishna sudama friendship

6- चोरों को वह चने की बँधी पोटली मिल गयी चोरों ने समझा इसमें कोई खजाना हीरा जवाहरात हैं, इतने में ब्राह्मणी जाग गयी और शोर मचाने लगी।

krishna sudama friendship

7- ब्राह्मणी के शोर को सुनकर गाँव के सारे लोग चोरों को पकड़ने के लिए दौडे, चोर वह पोटली लेकर भागे। पकडे़ जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये। जहां भगवान कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण करते थे।

krishna sudama friendship

8- गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है, गुरुमाता देखने के लिए आगे बढ़ीं, चोर को लगा कोई आ रहा है, चोर डर गये और आश्रम से भागने लगे।

krishna sudama friendship

9- भागते समय चोरों से वह पोटली वहीं गिर गयी। और सभी चोर भाग निकले। वहीं दूसरी ओर वह ब्राह्मणी भूख से परेशान ब्राह्मणी ने जब जाना कि उसकी चने की पोटली चोर उठा ले गये ।

krishna sudama friendship

10-उसने बड़े दुखी मन से ये श्राप दिया की मुझ दीनहीन असहाय के जो भी चने खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा। उधर प्रात:काल गुरु माता आश्रम मे झाड़ू लगाने लगी।

krishna sudama friendship

11- सफाई करते समय गुरु माता को वही चने की पोटली मिली। गुरु माता ने जब पोटली खोल के देखी तो उसमे चने निकले।

krishna sudama friendship

12- सुदामा जी और कृष्ण भगवान रोज की तरह जंगल से लकड़ी लाने जा रहे थे तब गुरुमाता ने उन्हें वही चने की पोटली दे दी और कहा जब भूख लगे तो दोनों ग्रहण कर ले ।

krishna sudama friendship

13- ज्यों ही चने की पोटली सुदामा जी ने हाथ में लिया त्यों ही उन्हें सारा रहस्य मालुम हो गया। सुदामा ने सोचा कि अगर श्रीकृष्ण ने यह चने ग्रहण किए तो सारी सृष्टि ही गरीब, दरिद्र हो जाएगी। इस विचार के साथ उन्होंने ये सारे चने खुद ही खा लिए ।

krishna sudama friendship

14- दरिद्रता का श्राप सुदामा जी ने स्वयं ले लिया। लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को एक भी दाना चना नहीं दिया। सुदामा ने सृस्टि को दरिददाता से बचने के लिए खुद पूरा जीवन दरिद्रता में बिताया और दोस्तों आप लोगो को ये ज्ञात होगा की जब सुदाम द्वारिका गए थे तो भगवन श्री कृष्णा ने चोरी छिपे उसकी झोपडी अपने ही जैसे राजमहल में परिवर्तित कर के दी थी लेकिन सुदामा कभी भी उस महल में नहीं गए उन्होंने अपना बचा जीवन कान्हे के मंदिर में उनके चरणों में बिता दिया तो दोस्तों ये संसार असल में सुदामा जी का हमेशा रिणी रहेगा जिन्होंने सृस्टि को दरिद्रता से बचने के लिए खुद जीवन भर दरिद्र रहना स्वीकार किया ।

krishna sudama friendship

Facebook Comments
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x