नींद भरी अखियन में लाली |
ठुमक ठुमक चले कृष्ण मुरारी ||
सर मोर मुकुट और कुंचित केशा |
तिरछी नजर कजरे की रेखा ||
मस्तक तिलक चन्दन को होइ |
गले वैजन्ती माला सोहे ||
पीताम्बर की शोभा शोभित |
पैरन में पैजनिया बोलत ||
अंग अंग कमलो से कोमल |
श्याम रंग से हिरदे डोलत ||
धरा पे पड़ते चरण कमल जब |
धन्य धन्य रज माथन चूमत ||
अधरन पर जब मुरली बाजत |
धरा का हर एक कण कण नाचत ||
प्रेम से बोलो राधे राधे
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वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।
Suparb yrr good job
Radhe radhe