अद्भुत नयन तेजमय ज्योति |
लागत जैसे हीरे मोती | |
चितवन ऐसी चित को हर ले |
जब जब पलके इत उत डोले | |
सागर से गहरी गहराई |
जब लोचन में नीर भराई | |
चमक चाँद की भी लज्जायी |
जब जब राधा देख मुस्कराई | |
कजरे की रेखा है ऐसी |
जैसे घनी रात्रि देखी | |
चित की चितवन हर लेती है |
जब राधा देख सवर लेती है | |
श्याम रंग अखियां में भर कर |
गोर रंग की आँख सजाई | |
कमलनयन की उपमा ऐसी |
जो लिख जाए कलम न ऐसी | |
प्रेम से बोलो जय श्री राधे कृष्णा
वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।