| नित नित तेरे दर्शन पाऊँ, पलकन अपने द्वारा झराऊँ |
|| दे दो मुझे भी कारज कोई, दास बना अब रख लो मोही ||
| बूँद बूँद मै प्रेम की चुनकर, अखियन गागर भर कर लाऊँ |
|| चरण पड़े जहाँ मनमोहन के, धो धो पल पल शीश नवाऊँ ||
| चुन चुन डाली फूल अनेको,फूलन बंगला रोज बनाऊँ |
|| चरणन दास बना रख लो मोहे, इन पादुकन की धून झराऊँ ||
| सांझ को रोज भजन मै गऊँ,मधुर स्वर से तुम्हे रिझाऊँ |
|| रात को मीठी लोरी गऊँ, प्रातः को प्रभात वंदना से जगाऊँ ||
| भक़्त समझ ना देख तूू कान्हा, धूल नहीं मै तेरे भक्तन की |
|| समझ ह्रदय की पीड़ा मेरी, वो भी नहीं तो समझ द्वार का कीड़ा कोई ||
| कछु ना हो तो धोबी बन जाऊं , जन्म जन्म के पाप मिटाऊ |
|| पद सेवा का दास बना लो या माटी कर अब पार लगाओ ||
|| प्रेम से बोलो राधे राधे ||
वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।