।। जब राधा संग होली खेले गिरधारी ।।
।। तब वृन्दावन’ में खुशियाँ छाई ।।
।। नाच उठा आज वृन्दावन ।।
।। आया फिर फागुन मनभावन ।।
।। रंगों से सज गयी है गलियाँ।
।। मचा हुड़दंग भागे सब ललियाँ ।।
।। नटखट कान्हा रास रचाएँ ।।
।। सब साखियन को नाच नचाये ।।
।। हाथ ना आए श्याम हठीला ।।
।। रंग गयो सब गोपिन रंगीला ।।
।। कहे कृष्णा सब गोपिन, बालन से ।।
।। श्याम रंगे बस, राधा के रंग से ।।
।। रंग गुलाल थैलन में भरकर ।।
।। बरसाना पहुंच गयो ग्वालन संग ।।
।। बोलत आज ना छोरु राधा को ।।
।। आधी नही पूरी रंगी राधा को ।।
।। राधा कोरी गोरी गोरी ।।
।। श्याम को ढुंडत चोरी चोरी ।।
।। देख राधा को श्याम है भागत ।।
।। आगे आगे राधा पीछे पीछे श्याम है आवत ।।
।। हाथ न आये राधा प्यारी ।।
।। भाग भाग हारे गिरधारी ।।
।। जब तान मधुर वशी की बाजी ।।
।। राधा खुद को रोक ना पायी ।।
।। रंगी आज मोहन के रंग में ।।
।। नाचे आज रंग के हर धुन में ।।
।। राधा रंगी श्याम के रंग में ।।
।। श्याम रंगा राधा के रंग में ।।
।। नाच उठी सब फूलन बगियाँ ।।
।। जब फूलन संग होली खेले रंगरसिया ।।
।। जब तंग श्याम से राधा आई ।।
।। तब बारी लाठिन होली की आई ।।
।। हिल-मिल होली खेल रहे सब रंग से ।।
।। कछु फूलन तो कछु लठियन से ।।
।। इन्द्रधनुष बन रहा पवन में ।।
।। जब उड़त गुलाल सतरंग गंगन में ।।
।। जब खेलत युगल जोडी रंग के ।।
।। बिखर गए प्रेम मोती हर रंग के ।।
।। चमक रही रज आज रंगन से ।।
।। निखरी यमुना अनेक रंगन से ।।
।। प्रेम रंगन में , डूबे सब नरनारी ।।
।। जब राधा संग होली खेले गिरधारी ।।
प्रेम से बोलो राधे राधे
वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।