मन भयो हरी सुमरन को आदि

krishna bhakti

||.. अब बिन भजनन के मन चेत ना पावत
जब हरी भजत मुझे सुख मिल जावत ||..

|.. हरी हरी कहे मन हर्षित हो जाता
कृष्ण रहत तृष्णा मिट जाये ||..

|.. केशव कह कर क्रोध मिटाऊं
माधव भजत तब मोछ को जाऊँ ||..

|.. गोविन्द कहे गोलोक को जाऊँ
हरी अनंत नाम से तुम्हे रिझाऊं ||..

||.. तन के सब में पाप मिटाऊँ
जब हरे कृष्णा का जाप उठाऊँ ||..

||.. देख तुम्हे मिल जाये उजियारा
बिन देखे जीवन घना अँधियारा ||..

||.. हरी तुम ही दीनन के सहारे
तुम बिन जाऊँ किसके द्वारे ||..

||.. जिस दिन हरी मै नाम न गऊँ
उस दिन तन में सुख न पाऊँ ||..

||.. हरी सेवा ही नौका मेरी
हरी हरी नाम पतवार है मेरी ||..

||.. हरी नाम की महिमा ऐसी
तर जाये पत्थर तिनका भी कोई ||..

प्रेम से बोलो राधे राधे

Facebook Comments
Varsha(दीवानी कृष्णा की )

Varsha(दीवानी कृष्णा की )

वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है। भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।
5 7 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x