|| बाजत ढोल गगनं में गुंजत
भए प्रगट आज नंदलाल ||
|| लोक लोक से पुष्प है बरसत
घनी रात्रि बदल है गर्जत ||
|| प्रभु दरश को आतुर है सब
नीर , समीर , गगनं, और माटी ||
|| ढोल, नगाड़े,मृदंग, झांझर है बाजत
उड़त गुलाल सब मगन भए नाचत। ||
|| व्याकुल युमना पल – पल उभरे
चरण कमल बंधन को तरसे ||
|| मथुरा में अवतार लियो है
गोकुल को उद्धार कियो है ||
|| यशोदा माँ का आखँ का तारा
नन्द बाबा का लाड दुलारा ||
|| भेटन के अम्बार लगे है
मिस्ठान के भंडार भरे है ||
|| कछु गावत है गीत अनोखे
कछु अखियन से नीर बहावत है ||
|| हृदय धैर्य धरत ना धीरा
उमंग भरत मन भागत शरीरा ||
|| सब नर नारी इत्त उत भागत
लेवत भेट भवन को आवत ||
|| पुष्पन से लद गई है बगियां
महक उठी सब गोकुल गलियां ||
|| अदबुध तेज जगत में छावत
लागत आज निर्जीव भी नाचत ||
प्रेम से बोलो राधे राधे
वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।