भक्ति में जब मन ये भिगोया |
गोविन्द के चरणों में खोया |
थका हुआ जीवन से हारा |
तब श्याम ने दे दी शीतल छाया |
भए पुलकित ये प्यासे नैना |
दरश करत जब भीगे नैना |
निर्मल कोमल शीतल काया |
अदभुत तेज जगत में छाया |
बिन देखे तो चैन न पाया |
और देख उसे सुधबुध बिसराया |
अनंत तेज ये कैसा पाया |
अन्धकार भी लगे उजियारा |
ठोकर बहुत जगत की खायी |
बस तेरे दर पर रहमत पायी |
ये कैसा नाता तुम संग बांधा |
तुम बिन जीवन लागे आधा |
हे मुरलीधर कृष्णा मुरारी |
कहाँ तक कृपा कहूँ तुम्हारी |
आप का वर्णन आप को अर्पण |
बस सदा रहूँ मै आप के शरणम |
|| प्रेम से बोलो राधे राधे ||
वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।