जाग उठो नंदलाल |
अब तो जाग उठो नंदलाल |
गई रात अब भोर है आवत |
बाँग बाँग को भवरे भागत |
चिडिया मधुर गीत है गावत |
अब तो जाग उठो नंदलाल- २ |
दोऊ कर जोड परत है चरना |
व्यकुल नयन बहत है झरना |
बार बार अवत तोर अंगना |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
मन की आस टूटन सी लागत |
पल पल चैन सुध बुध बिसरावत |
जब जब किरणे कदम बढ़ावत |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
बाल पन तोहे भजत ये दासा |
बहुत आस मत कर उदासा |
पकड़ हाथ बैठा अब पासा |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
श्वास श्वास पार नाम भजत |
रोम रोम बस श्याम जपत |
नाम सुनत मन धैर्य ना पावत |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
अर्चना वंदना कछु न जानत |
भक्ति का तो ‘भ’ ना जानत |
बस पतित पावन तुम ही मानत |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
मानत अवगुण भरा शरीरा |
काबिल ना जो तोहे पाए फकीरा |
अब तो समझ ले मोरी पीरा |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ ||
अब तो जाग उठो नंदलाल |
गई रात अब भोर है आवत |
बाँग बाँग को भवरे भागत |
चिडिया मधुर गीत है गावत |
अब तो जाग उठो नंदलाल- २ |
दोऊ कर जोड परत है चरना |
व्यकुल नयन बहत है झरना |
बार बार अवत तोर अंगना |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
मन की आस टूटन सी लागत |
पल पल चैन सुध बुध बिसरावत |
जब जब किरणे कदम बढ़ावत |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
बाल पन तोहे भजत ये दासा |
बहुत आस मत कर उदासा |
पकड़ हाथ बैठा अब पासा |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
श्वास श्वास पार नाम भजत |
रोम रोम बस श्याम जपत |
नाम सुनत मन धैर्य ना पावत |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
अर्चना वंदना कछु न जानत |
भक्ति का तो ‘भ’ ना जानत |
बस पतित पावन तुम ही मानत |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ |
मानत अवगुण भरा शरीरा |
काबिल ना जो तोहे पाए फकीरा |
अब तो समझ ले मोरी पीरा |
अब तो जाग उठो नंदलाल -२ ||
||प्रेम से बोलो राधे राधे||
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वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।