जरा संभल जा मानव

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|| मानव तुमने हर दम अपनी मानवता को खोया है। ||
|| इसीलिए तुम्हे बनाकर हर पल ईश्वर रोया है। ||

|| लोभ, मोह, ईर्ष्या, लालच ने हर दम तुझको घेरा है। ||
|| मिटाकर अपनी सारी हदो को विश्वास को उसके तोडा है। ||

|| पाला जिस प्रकृति ने तुझको उस पर हर पल तेरा पहरा है। ||
|| सजा के तूने अपने घर को , सुन्दर धरा को रौंदा है। ||

|| ये कैसे मोड़ पर तू खुद को लाया ,तुझसे अच्छा आज जानवर कहलाया। ||
|| तोड़ विश्वास उस मासूम हथनी का क्रूरता का प्रमाण दिया। ||

|| छीन के उसके जीवन को मानवता को शर्मसार किया। ||
|| मानव बनकर शैतानो सा क्यों तूने ये भेष रखा। ||

|| पेड़, नदी , और अन्य जीवो को जाने कितना दर्द दिया। ||
|| शायद इसीलिए आज विपदाओं ने घेरा है। ||

|| छोड़ा सब्र आज धरा ने धैर्य ईश्वर ने भी तोडा है। ||
|| झेला उसने बहुत सालो तक, और तू कुछ महीनो में रोया है। ||

|| अब भी समय है सम्भल जा मानव वार्ना बहुत पछतायेगा। ||
|| क्या खोया क्या पाया तूने ये भी समझ न पायेगा। ||

|| मानव तुमने हर दम अपनी मानवता को खोया है। ||
|| इसीलिए तुम्हे बनाकर हर पल ईश्वर रोया है। ||

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Varsha(दीवानी कृष्णा की )

Varsha(दीवानी कृष्णा की )

वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है। भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।
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Akash kashyap

Radhe radhe

Anand Agarwal

Radhey Radhey 🙂

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