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poem lyrics in hindi

krishna sudama friendship

कान्हा अब तो मोहे चाकर लियो बनाये

| नित नित तेरे दर्शन पाऊँ, पलकन अपने द्वारा झराऊँ | || दे दो मुझे भी कारज कोई, दास बना अब…

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