|| ए हवाओं अगर गुजरो वृन्दावन से तो
मेरी राधे को ये पैगाम देना…
|| और पहुंचते ही मेरी आंखो से गिरते
दो मोती उन के चरणो में चढ़ा कर…
|| मेरी सारी व्यथा सुना देना
वर्षो से पड़ी है किसी कोने में इस दीवानी की दरखास्त…
|| मेरी राधे के हाथो में थमा देना
उसमे रखी है एक दीवानी की आस…
|| और है तुम पर अटल विश्वास
की भेजोगी बुलावा उसे वृन्दावन आने का…
|| बस इतनी कृपा का उसे दान देना
और कहना, की मेरी सासें हर पल भेज रही…
|| राधे नाम का पैगाम मेरे प्यासे
नैनो और व्याकुलता को अब तो राधे विराम देना…
|| मेरी अर्जी करो स्वीकार हे राधे
अब के बरस मुझे वृन्दावन धाम बुला लेना…
|| इस दीवानी को अपने दरश संग श्याम मिला देना
ए हवाओं अगर गुजरो वृन्दावन से तो..
मेरी राधे को ये पैगाम देना
प्रेम से बोलो राधे राधे…
वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।