आखिरकार एकादशी के तीन दिन बाद यानि मंगलवार को ठाकुर बांकेबिहारी जी के निज बगीचे के उत्पन्न फूलों से फूल बंगला बनाया गया और बांकेबिहारी जी विराजे। बांकेबिहारी जी का छत्र भी सुगंधित फूलों से ही बनाया गया। सांयकाल करीब ५ बजे गर्भ गृह से बाहर आकर प्रभु ने दर्शन दिए।
वैसे तो आप सभी भली भांति जानते होंगे लेकिन फिर भी आपको अवगत कराते चले की चैत्र माह की एकादशी पर बांकेबिहारी जी गर्भगृह से बाहर आते थे और फूल बंगले में विराजमान होकर सभी भक्तों को दर्शन देते थे हर साल एकादशी से ठाकुर बांकेबिहारी जी के फूल बंगले प्रारम्भ हो जाते थे।
हर वर्ष फूल बंगला ८०० से ९०० किलो फूलों से निर्मित किया जाता था लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सिर्फ ७ किलो फूलों से ही बंगले का निर्माण किया गया श्री बांके बिहारी के दोनों तरफ गुलाब जल युक्त फूलों की चादर लगाई गई है
श्री राधे कृष्णा से ये ही प्रार्थना है की वो जल्दी से जल्दी इस विपदा से हमें निकले और अपने दर्शन का मौका दे। क्योकि बिन कृष्णा दर्शन जीवन अधूरा सा लगता है, और सभी राधे-कृष्णा भक्तो से अनुरोध है की वो अपने घरों से बाहर न निकले। जब तक स्तिथि सामन्य नहीं होती तब तक सभी लोग अपने घरो में रहकर ही प्रभु से अनुरोध करे, हमारे अपने प्रयास ही हमें अपने कृष्णा से मिलने का रास्ता बनाएंगे।
प्रेम से बोलो राधे राधे