|| रात्रि समाप्त हुई भोर हुई नन्दलाल ||
|| सूर्य उदय हुआ दूर हुआ अंधकार ||
|| पंछियों की चह-चाहट से गूंज उठा आकाश ||
|| मैया कहे अब तो उठ जा मेरे लाल ||
|| दाऊ भी बोले अब तो आजा मेरे गोपाल ||
|| गौए भी कह रही कहा रह गए यशोदा लाल ||
|| नन्द बाबा की गोद में सो रहे थे नन्द लाल ||
|| सो क्या रहे थे जाग गए थे वो देवकी के लाल ||
|| मंद-मंद सा मुस्कुरा रहे थे वो वासुदेव के लाल ||
|| राधा-रानी के पुकारने का कर रहे थे इंतज़ार ||
|| मेरी माँ यशोदा के वो नटखट मदन गोपाल ||
|| राधा-रानी के बुलाते ही दौड़े मेरे बाल गोपाल ||
|| उठ ही गए माँ यशोदा के कुंज बिहारी लाल ||
|| उठ ही गए माँ यशोदा के कुंज बिहारी लाल ||
|| बोलो सांवले सरकार की जय ||
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