मैं दासी तुम भगवन मेरे |
मैं प्यासी तुम पानी मेरे ||
मैं धागा तुम मोती मेरे |
मैं गाऊँ तुम गीत हो मेरे ||
मैं मछली तुम पोखर मेरे |
मैं चारा तुम धरती मेरे ||
मैं मझधार तुम किनारा मेरे |
मैं नौका तुम माझी मेरे ||
मैं सोनार तुम सोना मेरे |
मैं बीमार तुम वेद हो मेरे ||
मैं अवगुण तुम गुण हो मेरे |
मैं पापी तुम पुण्य हो मेरे ||
मैं सेवक तुम मालिक मेरे |
मैं दीन तुम दयालु मेरे ||
मैं अधीर तुम धीर हो मेरे |
मैं तन तुम मन हो मेरे ||
मैं पतित तुम पावन मेरे |
मैं अज्ञान तुम ज्ञान हो मेरे ||
मैं काया तुम प्राण हो मेरे |
प्रेम से बोलो राधे राधे
वर्षा कश्यप एक होनहार Student है,और एक अच्छी job पाने के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
भगवान श्री राधे गोविंद की उपासक वर्षा को बचपन से ही भगवान कन्हैया के भजन,पद इत्यादि लिखना बेहद पसंद है।
भजनों में बेहद रुचि रखने वाली वर्षा का मानना है कि उसको कविताएँ लिखने की प्रेरणा भगवान गोविंद की कृपा से ही मिलती है।